बाद तुम्हारे सब अपनों के मनमाने व्यवहार हुए/गज़ल/डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’
बाद तुम्हारे सब अपनों के मनमाने व्यवहार हुए मुस्कानें ही क्या, आँसू भी सालाना त्योहार हुए आँखों में सैलाब उठा तो दामन भी दरकार हुआ और जब दामन हाथ में आया, सब आँसू ख़ुद्दार हुए घर में सबकी अपनी ख़्वाहिश, सबकी अपनी फ़रमाइश आज हमें तनख़्वाह मिली है, हम भी इज़्ज़तदार हुए सबकी नज़रों में […]