बात जब भी कहीं चली होगी
तुमको मेरी कमी खली होगी
ख़्वाब आँखों में जी रहे होंगे
दिल में तेरे भी खलबली होगी
तेरी साँसों से मैं महकता हूँ
इत्र जैसी तेरी गली होगी
भर गई होंगी आँखों में यादें
शाम चुपके से जब ढली होगी
जल गये होंगे सारे परवाने
कोई शम्मा अगर जली होगी
लेखक
-
सत्यम भारती जन्म-20 मई 1995 जन्मस्थान- बेगूसराय, बिहार शिक्षा :- स्नातक, बीएचयू परास्नातक, जेएनयू नेट और जेआरएफ(हिंदी) पीएचडी(अध्ययनरत), हिंदी विश्वविद्यालय,वर्धा सम्प्रति- प्रवक्ता (हिंदी) राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज नैथला हसनपुर, बुलंदशहर प्रकाशित कृतियाँ- बिखर रहे प्रतिमान (दोहा-संग्रह) सुनो सदानीरा (ग़ज़ल-संग्रह)
View all posts
इत्र जैसी तेरी गली होगी/गज़ल/सत्यम भारती