तहे-दिल तलक तुझे थाहना, मेरी आदतों में शुमार है,
तुझे बेपनाह यूँ चाहना, मेरी आदतों में शुमार है।
मेरी बात पर तुझे हो यक़ीं कि न हो यक़ीं मेरे हमनशीं,
उसे हर्फ़ हर्फ़ निबाहना मेरी आदतों में शुमार है।
जो कहा करूँ वो किया करूँ जो नहीं करूँ तो मैं चुप रहूँ,
मुझे नापसंद उलाहना , मेरी आदतों में शुमार है।
नहीं लाज़िमी तेरा हर कदम, हो बड़ा कदम मेरे हमनवा,
तुझे बेवज़ह भी सराहना, मेरी आदतों में शुमार है।
जो बहा गयी मेरी नाव को, मुझे ख्वाब में वो नदी मिली,
मुझे डूबकर तुझे थाहना, मेरी आदतों में शुमार है।
मेरी आदतों में शुमार है/गज़ल/संजीव प्रभाकर