कौए भाई–कौए भाई,
तुम जो काले-काले हो।
कर्कश बोली होकर भी तुम,
कितने भोले-भाले हो।।
कोयल तुम्हें समझती अपना,
शत्रु बड़ा सबसे भाई।
लेकिन उसने कभी न जाना
कितनी तुम में करुणाई।।
तुम ही तो कोयल के कुल में,
नित्य उजाला करते हो।
उसके नन्हे-नन्हे बच्चे,
खुद जो पाला करते हो।।
लेखक
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भाऊराव महंत ग्राम बटरमारा, पोस्ट खारा जिला बालाघाट, मध्यप्रदेश पिन - 481226 मो. 9407307482
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कौए भाई/भाऊराव महंत