या मकानों का सफ़र अच्छा रहा
या ख़ज़ानों का सफ़र अच्छा रहा
जो ज़बां लेकर चले थे, मिट गए
बे-ज़बानों का सफ़र अच्छा रहा
भूख के किस्से ग़रीबों ने सुने
दास्तानों का सफ़र अच्छा रहा
झुग्गियों में पल रही है सभ्यता
आसमानों का सफ़र अच्छा रहा
कुछ बुझे चूल्हे बताते रह गए
कारख़ानों का सफ़र अच्छा रहा
मुश्किलें सारी पहाड़ों पर मिलीं
पर, ढलानों का सफ़र अच्छा रहा
था सफ़र नादान लोगों का कठिन
कुछ सयानों का सफ़र अच्छा रहा
पीढ़ियां-दर-पीढ़ियां पूजी गईं
हुक्मरानों का सफ़र अच्छा रहा
लेखक
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डॉ. राकेश जोशी जन्म: 9 सितंबर, सन् 1970 शिक्षा: अंग्रेजी साहित्य में एम.ए., एम.फ़िल., डी.फ़िल. प्रकाशित कृतियां: "कुछ बातें कविताओं में" (काव्य-पुस्तिका)", पत्थरों के शहर में" (ग़ज़ल-संग्रह), "वो अभी हारा नहीं है" (ग़ज़ल-संग्रह)। संप्रति: राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड में अंग्रेज़ी विभाग में प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष। राकेश जोशी वर्तमान में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड में अंग्रेज़ी विभाग के प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष हैं. इससे पूर्व वे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, श्रम मंत्रालय, भारत सरकार में हिंदी अनुवादक के पद पर मुंबई में कार्यरत रहे. मुंबई में ही उन्होंने थोड़े समय के लिए आकाशवाणी विविध भारती में आकस्मिक उद्घोषक के तौर पर भी कार्य किया. उनकी कविताएँ अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के साथ-साथ आकाशवाणी से भी प्रसारित हुई हैं. उनकी एक काव्य-पुस्तिका "कुछ बातें कविताओं में", दो ग़ज़ल संग्रह “पत्थरों के शहर में” तथा "वो अभी हारा नहीं है" अब तक प्रकाशित हुए हैं.
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