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प्रोफेसर का ट्यूशन/डाॅ. मृत्युंजय कोईरी

प्रोफेसर मुदित कुमार को काॅलेज में बहुत मान-सम्मान किया जाता है। विश्वविद्यालय स्तर से कई बार सर्वश्रेष्ठ प्रोफेसर के रूप में सम्मानित हो चुके हैं राज्य सरकार ने शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर राज्य के ख्यातिलब्ध शिक्षकों और प्रोफेसरों को एक लाख रुपये और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया था। जिसमें तीन प्रोफेसरों का चयन हुआ था। पहला नाम प्रोफेसर मुदित कुमार का ही था। प्रोफेसर साहब राष्ट्रीय स्तर के कई सम्मानों से सम्मानित भी हो चुके हैं। प्रोफेसर की उम्र लगभग पचपन वर्ष होगी। किंतु अब तक कुँवारे हैं।
मुदित कुमार फिजिक्स के प्रोफेसर हैं। ये हर सत्र से एक विद्यार्थी को मुफ्त में ट्यूशन पढ़ाते हैं। जिनको विश्वविद्यालय का टाॅपर बनाते हैं। प्रतिवर्ष की भाँति ही नये सत्र के विद्यार्थियों को पहली क्लास लेने चले जाते हैं। प्रोफेसर की नजर इस सत्र की अतिसुन्दर लड़की पर पड़ती है, जो सबसे पीछे वाली बेंच में बैठी है। प्रोफेसर उस लड़की के पास जाकर सबसे पहले खड़ा करते हैं। फिर उनका नाम पूछते हैं। लड़की डर कर धीरे से बोलती है, ‘‘नीतू कुमारी’’
प्रोफेसर ने नीतू कुमारी को फस्र्ट बेंच में बैठने का आदेश देते हैं। नीतू डरती हुई फस्र्ट बेंच में जाकर बैठ जाती है। प्रोफेसर क्लास लेना शुरू करते हैं। क्लास लेने के क्रम में विद्यार्थियों से प्रश्न करते हैं। जिनका जवाब नीतू बहुत सटीक देती है। प्रोफेसर नीतू की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए पीठ थपथपाते हैं। अगले दिन भी नीतू प्रोफेसर के प्रश्न का सही उत्तर देती है। प्रोफेसर विद्यार्थियों से ताली बजवाकर खूब प्रशंसा करते हैं। नीतू के पीठ थपथपाते हैं। फिर गाल को स्पर्श करते हुए कहते हैं, ‘‘नीतू! तुम जितनी सुन्दर हो। उतनी ही पढ़ाई में भी ध्यान लगाती हो। तुम यूनिवर्सिटी टाॅपर बनने लायक हो। तुम काॅलेज, विभाग और मेरा नाम भी रोशन करेगी। भविष्य में एक अच्छा प्रोफेसर बनोगी। तुमको केवल मार्गदर्शन की आवश्यकता है।’’
नीतू सिर हिलाते हुए धीरे से बोली, ‘‘हाँ सर।’’
प्रोफेसर साहब के प्रश्नों के जवाब नहीं दे पाने वाले विद्यार्थियों को बहुत भारी पड़ता है। यदि कोई लड़का उत्तर नहीं दे सकता है। तब उसके गाल में दो-चार थप्पड़ लगा देते हैं और पूरी क्लास खड़ा रखते हैं। लेकिन कोई लड़की यदि उनके प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाती हैं। तब उस लड़की के गाल-मुँह को दबाते हैं और गाल में एक से दो थप्पड़ मारते हैं। वह लड़की यदि भूल से भी जींस और टी-शर्ट पहन कर आयी है, तो उस लड़की के जिस्म में हाथ रखते हुए कहते हैं- ‘‘क्या बे? तू यहाँ अपनी बाॅडी दिखाने आयी हो। ताकि लड़के तुम्हारे पीछे लाइन लगें……………………..।’’ फिर हँसने लगते, ‘‘हे हे हे ……… हाहाहाहा हाहा …………. हे हे हे हेहेहेहेहे…………।’’
काॅलेज में यूनिफाॅर्म लागू नहीं है। इसलिए लड़कियाँ अधिकतर सलवार सूट पहन कर आती हैं। प्रोफेसर मुदित क्लास कम लेते हैं, ज्यादा प्रैक्टिकल कराते हैं। प्रैक्टिकल कराते समय प्रत्येक विद्यार्थी के पास जाते हैं, जो लड़का अच्छा से करता है। उनका पीठ थपथपाते हैं और यदि लड़की हो तो गाल को स्पर्श करके मुस्कराते हुए आगे बढ़ जाते हैं। यदि कोई लड़की दोपट्टा को ठीक से लगाना भूल गयी हो। या गलती से दोपट्टा गिर गया, तो प्रोफेसर दोपट्टा उठाकर ठीक कर देते हुए कहते हैं- ‘‘क्या बे? तू यहाँ प्रैक्टिकल करने नहीं आयी है। मुझे अपना जिस्म दिखाने आयी है।’’ फिर हँसने लगते, ‘‘हहहह…….. हेहेहेहे………..हाहाहाहाहा……।’’
प्रोफेसर प्रतिदिन नीतू की भूरी-भूरी प्रशंसा किया करते हैं। किंतु एक दिन प्रैक्टिकल रूम में नीतू से कुछ गलतियाँ हो जाती है। प्रोफेसर मुदित क्रोधित होकर चिल्लाने लगते हैं, ‘‘अरे! तुम क्या कर रही हो? मैं, तुमको इस सत्र का टाॅपर बनाने का सोच रहा हूँ कि तुम अब पढ़ाई में बिल्कुल ध्यान नहीं देती हो।’’
‘‘साॅरी सर! साॅरी सर!……….’’ नीतू
‘‘साॅरी-ऊरी कुछ नहीं! अब तुमको यूनिवर्सिटी टाॅपर बनने के लिए मेरा घर ट्यूशन पढ़ने जाना होगा। मुझे लग रहा था कि बाकी सत्र के टाॅपर स्टूडेंट की भाँति घर में ट्यूशन देने की आवश्यकता नहीं पढ़ेगा। पर तुमको ट्यूशन की आवश्यकता है। तुम से सीनियर छात्रा रसवंती भी ट्यूशन जाती है। उनका पार्टवान में बहुत अच्छा नम्बर है। अब उसे यूनिवर्सिटी टाॅपर बनने से कोई रोक नहीं सकता है।’’
‘‘नहीं सर! मैं, काॅलेज और रूम में खूब मेहनत करूँगी। आपको कभी बोलने का अवसर नहीं दूँगी। आज थोड़ा-सा मिस्टेक हो गया। उसके लिए फिर से साॅरी सर। एक्चुअली! कल रात को मैं अपनी सहेली की शादी में गयी थी। रूम सुबह सात बजे आयी थी। रात-भर नहीं सोने की वजह से अचानक आँख बंद हो गयी और मिस्टेक हो गया।’’
‘‘मैं कुछ नहीं सुनना चाहता हूँ। यदि तुमको यूनिवर्सिटी टाॅपर बनना है, तो फिर आज से ही शाम सात बजे ट्यूशन आ जाना।’’
‘‘सर! मुझे टाॅपर बनना है, लेकिन!’’
‘‘लेकिन क्या? लेकिन-उकिन कुछ नहीं, यदि तुम सक्षम हो तो फिर मैं दूसरे स्टूडेंट को टाॅपर बनाने के लिए तैयार कर लूँगा।’’
‘‘नहीं सर! मैं आज से ही आपके घर ट्यूशन पढ़ने जाऊँगी।’’
‘‘ये हुई न बात। अब तुम्हें यूनिवर्सिटी का टाॅपर बनने से कोई रोक नहीं सकता है। ये मेरा प्राॅमिस है।’’
प्रोफेसर के सारे प्रश्नों का उत्तर दे सकूँ। यही सोचकर नीतू काॅलेज से रूम आने के बाद खूब पढ़ने लगी। चार बजे से ही ट्यूशन जाने के वास्ते तैयार होकर रूम में कभी इधर-उधर ठहलती, कभी पुस्तक हाथ में उठाकर पढ़ने लगती। बार-बार घड़ी निकाल कर देखती है। ‘‘आज पहला दिन है। कहीं देर हो गयी तो सर गुस्सा करेंगे। तुमको आने का मन नहीं था। इसीलिए देर करके आयी हो।’’ मन में यह विचार आते ही साढ़े पाँच बजे प्रोफेसर के घर के वास्ते निकल जाती है।
नीतू प्रोफेसर का रूम छः बजे पहुँच जाती है। दरवाजा के ऊपर प्रोफेसर मुदित कुमार लिखा हुआ है। नीतू बेल बजाने की जगह दरवाजा को हल्का-सा धक्का दिया और दरवाजा खुल जाता है। नीतू रूम के अंदर प्रवेश करती है। जहाँ प्रोफेसर मुदित कुमार सेमेस्टर थ्री की छात्रा रसवंती के साथ सहवास में मग्न हैं। यह दृश्य देखकर नीतू केवल ‘हे राम!’ बोली और पत्थर की मूर्ति बनकर दो मिनट तक खड़ी रह गयी। तब तक प्रोफेसर कुछ बोल पाये और न रसवंती ही। दो मिनट के बाद प्रोफेसर सहवास की अवस्था से ही बोलते हैं, ‘‘अरे नीतू, तुमको मैं सात बजे का समय दिया था। तुम बहुत जल्दी आ गयी। अच्छा ठीक है। आ गयी हो तो अंदर के कमरे में बैठती रहो। रसवंती की क्लास समाप्त होने के बाद तुमको बुला लूँगा।’’
नीतू उत्तेजित होकर बोली, ‘‘ये ट्यूशन है!’’
‘‘हाँ! तुम ठीक समझ रही हो। यूनिवर्सिटी टाॅपर बनने का ट्यूशन है।’’
‘‘छी छी………. थू! मुझे नहीं बनना, यूनिवर्सिटी का टाॅपर।’’ कहकर नीतू बाहर निकलने के वास्ते मुड़ती है।
प्रोफेसर सहवास की अवस्था से उठने की कोशिश करते हुए कहते हैं, ‘‘रूक! रूक! तू कहाँ भाग रही हो?’’
नीतू कुछ बोले बिना ही बेतहाशा भाग जाती है।

लेखक

  • डॉ. मृत्युंजय कोईरी

    डॉ. मृत्युंजय कोईरी शिक्षा; स्नातकोत्तर हिन्दी पीएचडी0 कहानी संग्रह-मेंड़, राजेश की बैल, एक बोझा धान सम्प्रति-सहायक प्राध्यापक हिन्दी विभाग

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