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जब तक  वो  अरमान  रहा /विज्ञान  व्रत

जब तक  वो  अरमान  रहा
जीने   का    सामान    रहा
दुनिया  उसको  जान  गयी
जो  ख़ुद  से अनजान  रहा
अपना  साथ निभाकर  भी
वो  मुझ पर  अहसान  रहा
साफ़  लिखा था  चेहरे  पर
गूँगा    एक    बयान    रहा
लेकिन  मंज़िल  ग़ायब  थी
रस्ता    तो   आसान    रहा

लेखक

  • विज्ञान व्रत जन्म-तिथि : 17 अगस्त 1943 जन्म-स्थान : तेड़ा (मेरठ) उ प्र शिक्षा : M A ललित कला , B Ed , डिप्लोमा -- चित्रकला (राजस्थान) सम्प्रति : लेखन तथा चित्रकला प्रकाशित कृतियाँ : ग़ज़ल संग्रह : बाहर धूप खड़ी है , चुप की आवाज़ , जैसे कोई लौटेगा , तब तक हूँ , मैं जहाँ हूँ , शर्मिन्दा पैमाने थे , किसका चेहरा पहना है , भूल बैठा हूँ जिसे , मेरा चेहरा वापस दो , याद आना चाहता हूँ , लेकिन ग़ायब रौशनदान , मेरे वापस आने तक , रौशनी है आपसे और विज्ञान व्रत : चुने हुए शे'र दोहा संग्रह : खिड़की भर आकाश

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