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अब तो न नींद और न ही चैन है/देवेंद्र जेठवानी

अब तो न नींद और न ही चैन है,

दीदार को तेरे तरस गए, ये नैन हैं,

वो पक्षियों का चहचहाना,

वो भवरों का मंडराना,

अब कुछ नहीं रहा, तेरे चले जाने के बाद,

सुनहरी धूप के साथ सूरज का निकलना,

मधुर आवाज़ में कोयल का गाना,

पत्तों का जोश के साथ तड़तड़ाना,

अब कुछ नहीं रहा, तेरे चले जाने के बाद,

नदियों का निरंतर, सरसर बहना रहना,

सुन्दर फ़ूलों का ख़ुशी से खिलना,

ख़ुश्बुओं का झूमती हवाओं में महक जाना,

अब कुछ नहीं रहा, तेरे चले जाने के बाद,

कल तक जो एक सुन्दर महल था, सपनों का,

वो अब एक वीरान जंगल सा हो गया है,

मेरी ख़ुशियाँ, मेरे गीत,

मेरी कविता खो गई है कहीं,

अब कुछ नहीं रहा, तेरे चले जाने के बाद…!!!

लेखक

  • देवेंद्र जेठवानी

    देवेंद्र जेठवानी जन्मतिथि :- 14/09/1992 जन्म स्थान :- भोपाल (म.प्र.) निवास स्थान :- भोपाल (म.प्र.) शिक्षा :- B.Com Graduation M.B.A. (marketing, finance) मास्टर्स रूची :- कविता, ग़ज़ल, शेर, शायरी पेशा :- प्राइवेट कर्मचारी ( प्राइवेट बैंक में कार्यरत)

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