अब तो न नींद और न ही चैन है,
दीदार को तेरे तरस गए, ये नैन हैं,
वो पक्षियों का चहचहाना,
वो भवरों का मंडराना,
अब कुछ नहीं रहा, तेरे चले जाने के बाद,
सुनहरी धूप के साथ सूरज का निकलना,
मधुर आवाज़ में कोयल का गाना,
पत्तों का जोश के साथ तड़तड़ाना,
अब कुछ नहीं रहा, तेरे चले जाने के बाद,
नदियों का निरंतर, सरसर बहना रहना,
सुन्दर फ़ूलों का ख़ुशी से खिलना,
ख़ुश्बुओं का झूमती हवाओं में महक जाना,
अब कुछ नहीं रहा, तेरे चले जाने के बाद,
कल तक जो एक सुन्दर महल था, सपनों का,
वो अब एक वीरान जंगल सा हो गया है,
मेरी ख़ुशियाँ, मेरे गीत,
मेरी कविता खो गई है कहीं,
अब कुछ नहीं रहा, तेरे चले जाने के बाद…!!!
अब तो न नींद और न ही चैन है/देवेंद्र जेठवानी