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हर सैनिक में भरे उजाला/बृंदावन राय सरल

विजय दिवस का उत्स निराला।
हर सैनिक में भरे उजाला।
युद्ध कारगिल हमने जीता ,
मुँह को किया शत्रु  के काला।।
उसके सैनिक मारे नौ सौ
हमने ऐसा शौर्य संभाला।
फहराकर झंडा चोटी पर,
पर्व नया हमने रच डाला।
युद्ध हुए अब बरसों बीते,
सोच पाक की लेकिन हाला।

लेखक

  • बृंदावन राय सरल

    बृंदावन राय सरल माता- स्व. श्रीमती फूलबाई राय पिता- स्व. बालचन्द राय जन्मतिथि- 03 जून 1951 जन्म स्थान- खुरई, सागर (मध्य प्रदेश) शिक्षा- साहित्य रत्न, आयुर्वेद रत्न, सिविल इंजीनियर । भाषा - हिंदी, बुंदेली, उर्दू । प्रकाशन- हिंदी व बुंदेली भाषा में 14 किताबें प्रकाशित । साझा संकलन- लगभग 225 संकलनों में रचनाएं सम्मलित के अलावा देश-विदेश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का अनवरत प्रकाशन ।

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