यह माना बहुत गिरा है पानी स्थिति भयावह बन जाएगी ।
बस कुछ दिन और बरस जाए तो अपनी कोठी तन जाएगी ।।
दमित नदी की धारा को अब तक घाटों ने बांध रखा था ।
उफनी बाढ़ यदि इस बारिश में घाट नदी में ठन जाएगी ।।
इतना पानी बरसा फिर भी नेता हुए न पानी पानी ।
लोगों के घर उजड़ गये पर इनकी दिवाली मन जाएगी।।
अरे , ग़रीबों की रोती आंखों का जब सैलाब बहेगा ।
नव सृजन की प्रतिमा गढ़ने ये पावन मिट्टी सन जाएगी।।
जुल्फों के बादल बरस रहे हैं बड़ा सुहाना मौसम है।
इश्क से मालामाल हुए हैं थोड़ी मस्ती छन जाएगी।।
दिलजीत सिंह रील
बस कुछ दिन और बरस जाए/दिलजीत सिंह रील