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माँ  है  तो  परिवार में/गाफिल स्वामी

माँ  है  तो  परिवार में, खुशियाँ और मिठास ।

बिन माँ के परिजन कभी, बैठ सके ना पास ।।-1

माँ की ममता प्यार का, है  विशाल  संसार ।

लिख ना पाया आज तक, कोई रचनाकार ।।-2

जन जीवन औ जगत का, है ये अटल विधान ।

करनी  का  फल  एक  दिन, पाता  हर  इंसान ।।-3

मद माया का जगत में, बहुत  बुरा  है  जाल ।

जीते  जी  इससे  बरी, हुआ  न  कोई  लाल ।।-4

प्रेम  सत्य  की  साधना, प्रेम जगत का सार ।

बिना प्रेम सम्भव नहीं, जन जग का  उद्धार ।।-5

दीन  जनों में  बाँटिये,  घूम  घूम  कर प्यार ।

प्यार बाँटने  से  मिले, मित्रो  खुशी  अपार ।।-6

गफिला   सच्चा  संत  तो,  होता   नीर   समान ।

चलता फिरता जब तलक, तब तक पावन जान ।।-7

माया मद का भोग कर, जन  मन  हुआ गुलाम ।

जब  काया  जर्जर हुई, तब  जपते  प्रभु  नाम ।।-8

मूँछों  से  बढ़ती  नहीं , शान  और  पहचान ।

बिल्ला  बिल्ली  मूसटा, चलते   मूँछें   तान ।।-9

अक्सर समझें जन सभी, पैसे को भगवान ।

मगर  वक्त  जैसा नहीं, कोई  भी  बलवान ।।-10

दुख से बचे न राम जी, दुख से बचें न आप ।

कभी न करना भूल कर,  मित्रो  कोई  पाप ।।-11

सत्य प्रेम की आजकल, चलती नहीं दुकान ।

झूँठे    बेईमान   का ,  बिकता  हर  सामान ।।-12

गाफिल स्वामी

लेखक

  • गाफिल स्वामी

    गाफिल स्वामी जन्म - २२ जुलाई १९५३ शिक्षा - एम. ए. ( हिन्दी ) प्रकाशन - दो काव्य कृतियाँ प्रकाशित १ - जय हो भ्रष्टाचार की २ - उठा कलम सच्चाई लिख अनेक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित पता - गाँव - लालपुर, पोस्ट - इगलास, जिला - अलीगढ़ - २०२१२४ मोबा. – ९७५८४९४४६५

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