+91-9997111311,    support@sahityaratan.com

हार कैसे मान लें हमः डा.रमेश कटारिया

नफरती तेवर तुम्हारे हार कैसे मान लें हम।

ठीक से पहले तुम्हे हम जान लें पहचान लें हम।

नफरतें करते रहे और प्यार जतलाते रहे।

उसी थाली में छेद किया जिसमें तुम खाते रहे।

इन तुम्हारी हरकतों को मनुहार कैसे मान लें हम।

कितना समझाया तुम्हें था साम, दाम, दण्ड, भेद से।

तुम नहीं माने हमें है बस यही इक खेद थे।

हक हमारा है तेरा अधिकार कैसे मान लें हम

पद दलित क्यों हो गए हो आज अपने धर्म से।

और कोई होता तो मर ही जाता शर्म से।

फिर बताओ आपको सरदार कैसे मान लें हम।

ये तुम्हारी कर्कश  वाणी दिल में चुभती तीर सी।

देख कर निर्लज्जताएं दिल में उठती पीर सी।

कांव कांव को तेरी मल्हार  कैसे मान लें हम।

हम ने जब भी जो कहा तो आप क्यों पुलकित हुए।

हमको खांसी भी आई तो आप क्यों विचलित हुए।

चापलूसी को तेरी सत्कार कैसे मान लें हम।

डा.रमेश कटारिया पारस

हार कैसे मान लें हमः डा.रमेश कटारिया
×