साहित्य रत्न
साहित्य की विभिन्न विधाओं का संसार
कलम ने मेरी फिर हिमाकत लिखी है,
छाई हर तरफ वो बगावत लिखी है ।।
नफरत के शजर हैं लगे हर तरफ,
उठ रही आंधी की कयामत लिखी है ।।
खिले थे बाग हर तरफ लहलहाते,
जाने किसने गुलशन की आफत लिखी है।।
अहम की हर तरफ है होड़ लगी,
उजड़ा आशियाना कैसी मुसीबत लिखी है।।
छोटी सी जिंदगी है कब है उस पार जाना,
फिर क्यों इतनी नजाकत लिखी है।।
कर लो रहम है खुदा की गुजारिश,
जिंदगी को क्यों इतनी शामत लिखी है।।
मोहब्बत का है मुल्क ‘पूनम’ यहीं तेरा ठिकाना,
मुहब्बत में गुजारो यही वसीयत लिखी है।।
पूनम सिंह