माँ की थैली, गठरी, बस्ते में…
माँ अपने बच्चे को हर
चीज़ दे देना चाहती है
दुनिया की हर चीज़
समेट लेना चाहती है
थैला /गठरी/बस्ते में ।
आम, कच्ची-कैरी,
निबोरी, ऑंवला , इमली ,
मसाला ,और अचार भी ,
दाल-चावल-सब्जी, दही
कपड़े और जाने क्या-क्या,
जानती है , कि चल न सकेंगी
ता-उम्र उसकी दी ये चीजें,
सो देती है , शिक्षा,संस्कार,
ज्ञान और आत्मविश्वास भी ,
गठरी की सारी चीजें
तिरोहित हो भी जाएँ.
शिक्षा-संस्कार-ज्ञान और
आत्मविश्वास ता-उम्र देंगे
उसके बच्चे का साथ.
माधुरी “अदिति”
लेखक
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माधुरी-चतुर्वेदी-मिश्रा'अदिति' रेडियो मानव रचना के लिए लगभग २०० लेखकों का इंटरव्यू उनके पसंदीदा गीतों के साथ,कर चुकी हैं....तदुपरांत झलकियां भी । जिनमे राजेन्द्र यादव -मन्नू भंडारी, पद्मश्री पदमा सचदेवा, राजेन्द्र नाथ रहबर, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी-ममता किरण, डॉ सरोजनी प्रीतम, और बहुत से ....कई काव्य संग्रह और संकलन, देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं मे प्रकाशित,
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