कभी नहीं कुछ कहते आँसू
कभी नहीं कुछ कहते आँसू !
बस चुपके से बहते आँसू !!
गिरतीं हों ज्यों जल की बूँदें,
मौन वेदना आँखें मूँदें,
बहती जाए अविरल धारा,
पूछ पूछकर दिल भी हारा,
नयनों तक से अपनी पीड़ा,
व्यक्त नहीं है करते आँसू !
बस चुपके ——————
सब जग के रिश्ते नातों से,
खट्टी मीठी सब बातों से,
भूल गए कुछ भी अब कहना,
सीख लिये जैसे चुप रहना,
सारी पीर अकेले छिपकर,
जाने कैसे सहते आँसू !
बस चुपके —————
सुख दुख में भी खूब पले ये,
पुरवाई के संग ढले ये,
तोड़ चले शब्दों से नाता,
मुखरित उनका मौन बताता,
मोहक हर शृंगार पुष्प से,
बिना छुए ही झरते आँसू !
बस चुपके ——————-
लेखक
-
छाया त्रिपाठी ओझा शिक्षा :--- एम.ए, बी.एड जीविका :--- अध्यापन (बेसिक शिक्षा परिषद) प्रकाशन :--- अक्षर अक्षर गीत (गीत संग्रह) साझा गीत संग्रह 'नेह के महावर', मोंगरे के फूल , सिलसिला,अभिव्यक्ति,शब्दों के इन्द्रधनुष एवं कुण्डलिनी लोक सहित देश भर की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं एवं ई-पत्रिकाओं में रचनाओं का निरन्तर प्रकाशन सम्मान :--- 'काव्य शलाका' सम्मान (साहित्य प्रोत्साहन संस्थान, मनकापुर गोंडा उप्र) कुण्डलिनी रत्न सम्मान (कवितालोक सृजन संस्थान लखनऊ उ.प्र) काव्य श्री सम्मान (डा. लालता प्रसाद साहित्य सेवा संस्थान, मिल्कीपुर फैजाबाद उप्र) रचना सम्मान (सुभांजलि प्रकाशन, ट्रांसपोर्ट नगर कानपुर उ.प्र)
View all posts